मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधरहो जाये
जिसको मिल जाए दरे ग़ौस का नूरी टुकड़ा
अहले सुन्नत का वही शेरे बबर हो जाये
मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये
ज़ुल्फ़ को रुख़ से हटा दें तो क़मर शरमाये
मुस्कुरा दें तो अन्धेरे में सहर हो जाये
मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये
नक़्शे पाए शाहे कौनैन पे जन्नत क़ुर्बां
जिस तरफ जाए वो जन्नत की डगर हो जाए
मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये
संग पर नक़्शे क़दम पड़ते हैं आक़ा के "असद"
उसी पत्थर की तरह मेरा जिगर हो जाये
मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये
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