Sunday, April 26, 2015

Mere sarkar ka deewana jidhar ho jaaye

मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधरहो जाये

जिसको मिल जाए दरे ग़ौस का नूरी टुकड़ा
अहले सुन्नत का वही शेरे बबर हो जाये

मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये

ज़ुल्फ़ को रुख़ से हटा दें तो क़मर शरमाये
मुस्कुरा दें तो अन्धेरे में सहर हो जाये

मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये

नक़्शे पाए शाहे कौनैन पे जन्नत क़ुर्बां
जिस तरफ जाए वो जन्नत की डगर हो जाए

मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये

संग पर नक़्शे क़दम पड़ते हैं आक़ा के "असद"
उसी पत्थर की तरह मेरा जिगर हो जाये

मेरे सरकार का दीवाना जिधर हो जाये
जिस तरफ जाए ज़माना भी उधर हो जाये

No comments:

Post a Comment