Sunday, April 26, 2015

Khush qismato ka dekho wo sardar ho gaya

खुश किस्मतों का देखो वो सरदार हो गया
जिसको रसूले पाक का दीदार हो गया

उस वक़्त से मैं रश्के गुहरबार हो गया
दिल जब से मुस्तफा का तलबगार हो गया

जिसने नबी के इश्क़ में खुद को मिटा दिया
खुल्दे बरी का देखो वो हक़दार हो गया

फिरता है मारा मारा तू गुस्ताख़े मुस्तफा
मेरे नबी का जब से तू गद्दार हो गया

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