खुश किस्मतों का देखो वो सरदार हो गया
जिसको रसूले पाक का दीदार हो गया
उस वक़्त से मैं रश्के गुहरबार हो गया
दिल जब से मुस्तफा का तलबगार हो गया
जिसने नबी के इश्क़ में खुद को मिटा दिया
खुल्दे बरी का देखो वो हक़दार हो गया
फिरता है मारा मारा तू गुस्ताख़े मुस्तफा
मेरे नबी का जब से तू गद्दार हो गया
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