बंदा मिलने को क़रीबे हज़रते कादिर गया
लमअए बातिन में गुमने जलवाए ज़ाहिर गया
तेरी मर्ज़ी पा गया सूरज फिरा उलटे क़दम
तेरी ऊँगली उठ गयी मह का कलेजा चिर गया
तेरी आमद थी कि बैतुल्लाह मुजरे को झुका
तेरी हैबत थी कि हर बुत थरथरा कर गिर गया
क्यूँ जनाबे बू हुरैरा था वो कैसा जामे शीर
जिस से सत्तर साहिबो का दूध से मुह फिर गया
मैं तेरे हाथों के सदके कैसी कंकरियां थीं वो
जिससे कितने काफिरों का दफ़अतन मुह फिर गया
अल्लाह अल्लाह ये उलूवे खास अबदियत रज़ा
के बंदा मिलने को क़रीबे हजरते कादिर गया
लमअए बातिन में गुमने जलवाए ज़ाहिर गया
तेरी मर्ज़ी पा गया सूरज फिरा उलटे क़दम
तेरी ऊँगली उठ गयी मह का कलेजा चिर गया
तेरी आमद थी कि बैतुल्लाह मुजरे को झुका
तेरी हैबत थी कि हर बुत थरथरा कर गिर गया
क्यूँ जनाबे बू हुरैरा था वो कैसा जामे शीर
जिस से सत्तर साहिबो का दूध से मुह फिर गया
मैं तेरे हाथों के सदके कैसी कंकरियां थीं वो
जिससे कितने काफिरों का दफ़अतन मुह फिर गया
अल्लाह अल्लाह ये उलूवे खास अबदियत रज़ा
के बंदा मिलने को क़रीबे हजरते कादिर गया
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