Wednesday, June 5, 2013

सिदरा से भी आगे कौन गया ???

सिदरा से भी आगे कौन गया जिबरील-ए -अमीं से पूछो 
मेराज का दूल्हा कौन बना जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

क्या है तौकीरे शाहे उमम इन्सान से हो पाए न रक़म
क्या फर्श बरी क्या अर्श ज़मीं सब है आका के जेरे क़दम 
सुल्ताने मदीना का रुतबा जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

जिबरील से रब ने फरमाया जन्नत की सवारी लेकर जा
महबूब से ये जाकर कह दे अब आके करें वो सैर ज़रा
फिर कैसे हुई तामीले खुदा जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

है महवे राहते शाहे दीं शशोपंज में हैं जिबरीले अमीं
बेदार करें कैसे शह को हो जाए कहीं ना बेअदबी
ताज़िमे नबी होती है क्या जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

पास आके रसूले आज़म के पांव की जानिब खड़े हुए
ताजिम बजा लाये पहले फिर पांव पे नूरी लब रख के
तलवों को दिया है क्यूँ बोसा जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

अकसा में सवारी जब पहुंची नबियों की जमाअत हाज़िर थी
करने को अदा रब का सजदा सफ बस्ता जमाअत खड़ी हुई
है शर्फे इमामत किसे मिला जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

पहुंचे आखिर उस मंजिल पर जलते हैं जहां जिबरील के पर
जिबरील रुके सरकार बढे पहुंचे हैं अर्शे आज़म पर
मेहमाने खुदा है कौन बना जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

कैसर हैं वही महबूबे खुदा ताहा यासीन है लक़ब मिला
कुरआने मुक़द्दस ने उनको "व रफाना लका ज़िकरक" है कहा 
खालिक ने बख्शा है रुतबा जिबरील-ए -अमीं से पूछो।

No comments:

Post a Comment