अब तंगी-ए-दामन पे न जा
और भी कुछ मांग
हैं आज वो माइल ब अता
और भी कुछ मांग
सुल्तान-ए-मदीना ﷺ की
ज़ियारत की दुआ कर
जन्नत की तलब चीज़ है क्या
और भी कुछ मांग
हर चन्द के आक़ा ने
भरा है तेरा कशकोल
कमज़र्फ न बन हाथ बढ़ा
और भी कुछ मांग
माना कि इसी दर से
गनी हो के उठा है
फिर भी दरे सरकार पे जा
और भी कुछ मांग
जिन लोगों ये शक है
करम उनका है महदूद
उन लोगों की बातों पे न जा
और भी कुछ मांग
दे सकते है क्या कुछ
के वो कुछ दे नहीं सकते
ये बहस न कर होश में आ
और भी कुछ मांग
उस दर पे ये अंजाम हुआ
हुस्न ए तलब का
झोली मेरी भर भर के कहा
और भी कुछ मांग
पहुंचा है जो इस दर पे
तू रह रह के नसीर आज
आवाज़ पे आवाज़ लगा
और भी कुछ मांग
https://youtu.be/_Zz7PEZrHBg